दिल्ली व्यूरो
नई दिल्ली: अपनी जन कल्याणकारी योजनाओं के दम पर उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, गोवा और मणिपुर में भाजपा की सत्ता में वापसी के बाद ऐसी अटकलें लगाई जा रही हैं कि क्या केंद्र की मोदी सरकार इस महीने के बाद भी गरीबों को मुफ्त खाद्यान्न की आपूर्ति जारी रखेगी या नहीं? पीएम गरीब कल्याण अन्न योजना का मौजूदा चरण 31 मार्च को समाप्त हो रहा है.
सूत्रों के मुताबिक अतिरिक्त गेहूं और चावल खरीद एवं भंडारण के मुद्दे पर बीते बुधवार को मोदी कैबिनेट की बैठक में चर्चा हुई. इस बैठक में भारतीय खाद्य निगम (Food Corporation of India) के अधिकारी भी मौजूद थे. सूत्रों की मानें तो केंद्र सरकार इस सीजन में नई खरीद के लिए गोदामों में अधिक जगह खाली करने की योजना बना रही है. इसके लिए अतिरिक्त स्टॉक के निर्यात सहित विभिन्न विकल्पों पर विचार हो रहा है.
आपको बता दें कि अगले महीने की शुरुआत में सरकार किसानों से अनाज खरीदने लगेगी. FCI के पास लगभग 520 लाख टन खाद्यान्न का भंडार मौजूद है, जिसमें लगभग 240 लाख टन गेहूं और शेष 280 लाख टन चावल शामिल है. इसलिए, अगर केंद्र सरकार पीएम गरीब कल्याण अन्न योजना (PM Garib Anna Yojana) को जारी रखने की योजना बना रही है, तो खाद्यान्न की कमी जैसा कोई मुद्दा नहीं होगा.
आधिकारिक सूत्रों के अनुसार, चुनाव से ठीक पहले कोविड राहत पैकेज के हिस्से के रूप में 6,000 करोड़ रुपये की केंद्रीय सब्सिडी के साथ 21 लाख टन गेहूं और चावल उत्तर प्रदेश में गरीबों को दिसंबर 2021 और फरवरी 2022 के बीच मुफ्त में वितरित किए गए थे. PMGKAY के तहत, केंद्र सरकार गरीबों को प्रति व्यक्ति प्रति माह 5 किलो मुफ्त अनाज देती है.
यह योजना राज्यों में गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वालों को सरकारी राशन की दुकानों पर मिलने वाले सब्सिडाइज्ड खाद्यान्न (Subsidized and Free Food Grains Scheme) के अतिरिक्त है. उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने इसमें अपनी ओर से दाल, चीनी, चना और खाद्य तेल का वितरण शामिल किया है. इस तरह यूपी में गरीब परिवारों को हर महीने प्रति यूनिट 5 किलो गेहूं-चावल, 1-1 किलो चना और दाल, 1 लीटर खाद्य तेल और सस्ती चीनी मिलती है.
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